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जौनपुर तिलक तराजू और तलावर इनको मारो जूते चार इस पर क्या बोला रवि किशन गोरखपुर 24UPNEWS.COM पर

नवरात्र के छठवें दिन की गयी मां कात्यायनी देवी की पूजा अर्चना

जौनपुर। चैत्र नवरात्र के छठवें दिन श्रद्धालुओं ने मां कात्यायनी देवी की पूजा अर्चना की। मंदिरों और घरों में "या देवी सर्वभूतेषु स्मृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:" के मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय हो गया। मंदिरों में भोर से दर्शन पूजन का सिलसिला शुरू होकर देर रात तक जारी रहा। बता दें कि मां शीतला चौकिया धाम और मैहर देवी मंदिर सहित जिले के तमाम देवी मंदिर घंटा-घडि़याल की ध्वनि और माता के जयकारे से गूंजते रहे। नवरात्र के मद्देनजर दुर्गा मंदिरों में भव्य सजावट की गई है। शहर के साथ ही ग्रामीण इलाके से लोग भी दर्शन पूजन के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं। मंदिरों में दर्शन पूजन की पूरी व्यवस्था की गई है। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइन लग रही है। 

सरकार से है एक सवाल-मातृभाषा हिन्दी कब बनेगी राष्ट्रभाषा

कपिल देव मौर्य
हिन्दी दिवस के अवसर पर पूर्व के वर्षो की तरह इस वर्ष भी पूरे देश में हिन्दी दिवस का आयोजन कर स्थिति एवं उपेक्षा पर लम्बी चैड़ी चर्चा परिचर्चा की गयी लेकिन एक सवाल आज भी बरकरार है कि देश की इस मातृ भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा क्यों नही मिल सका है। इसका जबाब न तो राजनेता देते है न ही वे जिम्मेदार लोग जो हिन्दी के विकास एवं उत्थान का दम भरते नही थकते है। सवाल यह भी है कि ऐसी क्या बात है कि हमारी मातृ भाषा हिन्दी केवल राजभाषा तक सीमित हो कर रह गयी है। इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा देने में आखिरकार क्या कठिनायी देश की सरकार को हो रही है। आज देश का एक बड़ा जिम्मेदार तपका हिन्दी बोलने में क्यों शर्म महसूस कर रहा है। इस तरह के तमाम सवालो का जबाब देश की आवाम जानना चाहती है।
    देव भाषा संस्कृत से बनी हिन्दी भाषा को देश को एक सूत्र मे बांधने के लिए मातृ भाषा के रूप मे स्वीकारते हुए इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग उठने पर सन् 1949 में 14 सितम्बर को राजभाषा का दर्जा दे दिया गया। लेकिन जन मांग के अनुरूप आज भी इसको राष्ट्रभाषा का दर्जा नही मिल सका है। जब भी देश में इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की आवाज उठती है अपने ही देश के राज्यो से बिरोध की आवाज उठने लगती है। ऐसा क्यो किया जाता है जब हम अपनी मातृभाषा को सम्मान नही दे पा रहे है। तो हम कैसे उम्मीद करते है कि हममे एकता रहेगी हम एक सूत्र मे कैसे बधेगे।
    हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा आज तक नही दिलापाने वाले लम्बरदार लोग प्रति वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस काआयोजन कर लम्बा चैड़ा भाषण देते हुए इसकी उपेक्षा की चर्चा केसाथ विकास की बात करके जिम्मेदारी से मुक्त होते नजर आते है।बाद में हिन्दी को भुलाकर फिर अंग्रेजियत की धारा मे बह जाते है।इन परिस्थतियो मे क्या हिन्दी का कुछ विकास संभव है। हिन्दी मातृभाषा है लेकिन एक बड़ी बिडम्बना यह है कि पूरे देश का सर्वे किया जाये तो कुछ प्रान्तो को छोड़ कर लोग हिन्दी को जानते हुए भी हिन्दी बोलना उचित नही समझते है। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि हिन्दी की स्थिति क्या है इसे कितना सम्मान मिलता है। 
     बतादे कि हिन्दी किसी जाति या मजहब की भाषा नही है देश की उन्नति एवं ज्ञान के बृद्धि की भाष जरूर है। हिन्दी की लिपि मे लाखों शब्दो का भन्डारण है इसका उच्चारण भी सरल है फिर भी लोग इससे परहेज करते है। जबकि दूसरी भाषा अंग्रजी जिसके सहारे देश विकास की राह तय करने मे जुटा है उसकी लिपि मे शब्दो की संख्या महज कुछ हजार मे है फिर भी इसे प्राथमिकता मिल रही है। यह स्थिति जहां हिन्दी के दुर्भाग्य का संकेत देता है वही पर देश को सवालो के कटघरे में भी खड़ा करता है। हां इतना जरूर है कि देश की केन्द्र सरकार द्वारा नारा दिया जाता है कि सरकारी काम काज हिन्दी मे किये जायें। लकिन सच्चाई यह है कि केन्द्र सरकार के सभी कार्य अंग्रेजी में ही होते है। यह दोहरी ब्यवस्था क्यों है क्या इसका जबाब सरकार के नुमायीन्दो के पास है।
     आज हिन्दी के विकास के लिए चुनौती तो सरकार की नीतियां है यह सबसे बड़ा दुखद  पहलू है कि आज भी हिन्दी सरकारी कामकाज की भाषा नही बन सकी है। लेकिन हिन्दी दिवस के दिन जिम्मेदार लोग शोर खूब मचाते है। बाद में भूल जाते है कि हिन्दी दिवस पर क्या संकल्प लिया है। हिन्दी का विकास तब माना जायेगा जब सरकार इसे भारतीय भाषा घोषित कर पूरे देश में सरकारी कामकाज हिन्दी में सुनिश्चित कराये और उसकी लगातार समीक्षा भी करे  कि कौन इसका अनुपालन कर रहा है कैान नही सरकार इसके प्रति कड़ा निर्णय ले तब सायद लोग इस मातृभाषा को दिल से स्वीकार कर सकेगे, अन्यथा केवल गाल बजाने से हिन्दी का विकास होना संदिग्ध प्रतीत होता है।

पोर्न वेबसाइट्स को पूरी तरह से ब्लॉक किया जा सकता है


वाराणसी - इस समय देश में पोर्न साइट्स बैन की जाएं या नहीं, इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस पर कई तरह के अलग-अलग रिएक्शन्स भी मिल रहे हैं। कोई इन साइट्स को बैन करने के पक्ष में है तो कोई इन्हें बैन करना गलत बता रहा है। मामला गर्माता देख सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इन साइट्स पर से बैन हटा दिया गया था जिसे बाद में फिर चालू किया गया। लेकिन यूपी के एक इंजीनियर ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे सभी पोर्न वेबसाइट्स को पूरी तरह से ब्लॉक किया जा सकता है। इसकी खासियत है कि ये हिंदी पोर्न साइट्स को भी ढूंढकर ब्लॉक कर देगा, जबकि मार्केट में मौजूद सॉफ्टवेयर ऐसा नहीं कर पाते हैं। यही नहीं, ये फेसबुक पेज पर अश्लील फोटो और वीडियो को फिल्टर कर तुरंत बंद कर देगा। साथ ही 90 फीसदी पोर्न साइट्स को 30 सेकेंड में ट्रैक कर ब्लॉक कर देगा। ये सॉफ्टवेयर, बीएचयू आईआईटी के पूर्व छात्र ने बनाया है।
आईआईटी बीएचयू से साल 2000 में केमिकल डिपार्टमेंट से इंजीनियरिंग करने वाले सुरेश शुक्ला ने पत्नी सोनल शुक्ला और कुछ स्टूडेंट्स के साथ मिलकर INETCLEAN.COM नाम का एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इसके जरिए लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल पर पोर्न साइट्स को ब्लॉक किया जा सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से बच्चे अपने कंप्यूटर पर या कर्मचारी कंपनी के सिस्टम पर चाहकर भी किसी तरह की एडल्ट साइट्स नहीं खोल सकेंगे। सुरेश के मुताबिक, यदि किसी ने भी इन साइट्स को खोलने की कोशिश की तो रजिस्टर्ड ईमेल एड्रेस पर तुरंत एक मैसेज आ जाएगा। इससे ये पता चल जाएगा कि सिस्टम पर कौन सी साइट, कब खोलने की कोशिश की गई है।
मार्केट में पोर्न साइट्स को ब्लॉक करने के लिए तमाम सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, लेकिन उनके बनाए गए सॉफ्टवेयर में कई खासियत है। इसका इस्तेमाल कर कोई चाहकर भी इन वेबसाइट्स को किसी भी तरह से खोल नहीं पाएगा। इसके अलावा वेब की दुनिया में आए दिन नई-नई पोर्न साइट्स अपलोड होती रहती हैं, ये सॉफ्टवेयर उन्हें फिल्टर कर 1 सेकेंड में ब्लॉक कर देगा। इसका चार्ज मात्र 120 रुपए है, जबकि मार्केट में मौजूद सॉफ्टवेयर की कीमत 1500 से शुरू होती है।
इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के  इस टीम का ये सोफ्वेयर बनाने का उद्देश्य समाज में  वर्ग के लिए हैं जो चाहकर भी अपने घर में अपने बच्चो के कारन इंटरनेट का कनेक्शन नहीं लगवाते हैं ,यहीं नहीं उन पीड़ितों के लिए अभी जिसके नामरजी और धोखे से वीडियो ये साइट्स पर डाल दिए जाते हैं। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर पी के मिश्रा का कहना हैं की बच्चो को कुछ हट के करना चाहिए ऐसे में ये समाज के लिए ये प्रोडक्ट बनाकर ये बच्चे कबीले तारीफ काम किया हैं। एक अच्छे समाज की परिकल्पना के लिए ये अच्छा कदम हैं। 
भले ही समाज में कई ऐसे लोग भी हैं की जो पोर्न साइट्स को बैन करने के लिए आपत्ति जाहिर कर रहे हैं लेकिन इसमें कोई दो राय भी नहीं की हमारे समाज में बच्चे भी इसका दुरपयोग कर रहे हैं। ऐसे में ये सॉफ्टवेयर उस परिवार के लिए काफी कारगर साबित होगा जिन्हे अपने घर में इंटरनेट से डर लगता होगा। 

चक्रानुक्रम का फॉर्मूला पंचायत चुनाव में होगा लागू


मायावती सरकार की तर्ज पर ही होगी व्यवस्‍था, शासनादेश जारी
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मंगलवार को आरक्षण नीति जारी कर दी। बसपा शासनकाल में वर्ष 2010 में हुए पंचायत चुनाव में लागू की गई चक्रानुक्रम की व्यवस्था इस चुनाव में भी पूरी तरह से लागू रहेगी। इससे ज्यादातर ग्राम पंचायतों का मौजूदा आरक्षण बदल जाएगा।
उच्चस्तर पर सहमति बनने के बाद प्रमुख सचिव पंचायतीराज चंचल कुमार तिवारी ने मंगलवार रात में आरक्षण नीति का आदेश जारी कर दिया। इसकी प्रति सभी डीएम को भेज दी गई है। आरक्षण क्रिया 12 अगस्त से 12 सितंबर के बीच 32 दिनों में पूरी की जाएगी। 8000 से ज्यादा नई ग्राम पंचायतें आबादी के आधार पर जहां आएंगी, वहीं शामिल हो जाएंगी। प्रमुख सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे त्रिस्तरीय पंचायतों में पदों व स्थानों के आरक्षण व आवंटन के संबंध में 9 जुलाई 2010 को जारी शासनादेश में लागू व्यवस्था के आधार पर कार्यवाही करें। आरक्षण के लिए कुल जनसंख्या, व एससी-एसटी की जनसंख्या के आंकड़े 2011 की जनगणना से लिए जाएंगे जबकि ओबीसी के लिए रैपिड सर्वे 2015 के आंकड़े लिए जाएंगे।
13 के बाद कभी भी चुनाव कार्यक्रम का ऐलान
पंचायतीराज विभाग ने आरक्षण की कार्यवाही को 13 सितंबर के पहले पूरा करने के लिए प्रस्तावित 35 दिनों की कार्यवाही में तीन दिनों की और कटौती की। विभाग की योजना है कि वह हर हाल में 13 सितंबर तक राज्य निर्वाचन आयोग को आरक्षण की कार्यवाही पूरी होने की सूचना उपलब्ध करा दे। समझा जाता है कि यदि विभाग तय कार्यक्रम के हिसाब से यह काम पूरा कर सका तो 13 सितंबर या इसके बाद आयोग कभी भी चुनाव कार्यक्रम घोषित कर सकता है।
ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायतों में स्थानों और प्रधानों के पदों के आरक्षण का प्रस्ताव डीएम तैयार कराएंगे। इसके लिए वे शासनादेश में दी गई प्रक्रिया का पालन करेंगे। प्रस्ताव तैयार कर ग्राम पंचायत कार्यालय, क्षेत्र पंचायत कार्यालय और जिला पंचायत कार्यालय के साथ डीपीआरओ कार्यालय पर चस्पा कराएंगे। इसे लगातार तीन दिन तक प्रदर्शित किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर यदि किसी को आपत्ति है तो वह प्रकाशन की तिथि से सात दिन के भीतर खंड विकास कार्यालय, जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय अथवा डीएम कार्यालय में आपत्ति दर्ज करा सकेगा। इसके बाद डीएम की अध्यक्षता वाली समिति आपत्तियों का निस्तारण करेगी। इस समिति में सीडीओ, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत व जिला पंचायत राज अधिकारी शामिल हैं।
•प्रदेश में ग्राम पंचायतों की कुल संख्या-59163, क्षेत्र पंचायतों की-821 व जिला पंचायतों की 75 है।
•वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या में एसटी तथा एससी की जनसंख्या का कुल प्रतिशत क्रमश : 0.57 व 20.6982 है।
•रैपिड सर्वे में ग्रामीण जनसंख्या में ओबीसी की जनसंख्या 53.33 प्रतिशत है।
•सामान्य निर्वाचन-2010 के बाद पहली बार गठित ग्राम पंचायतों में आरक्षित पदों के आवंटन में पूर्ववर्ती निर्वाचनों के स्टेटस को नहीं देखा जाएगा। इसकी जगह पदों के आवंटन के लिए बनाए गए आनुपातिक जनसंख्या के अवरोही क्रम में उनकी (प्रथम बार गठित ग्राम पंचायतों की) स्टेटस के आधार पर नए सिरे से आरक्षण व आवंटन किया जाएगा।
•निदेशालय से विकास खंडवार प्रधान के पदों का आरक्षण चार्ट तैयार कर जिलों को उपलब्ध कराना - 12 अगस्त से 19 अगस्त
•निदेशालय स्तर पर डीपीआरओ व अपर मुख्य अधिकारियों का प्रशिक्षण - 20 व 21 अगस्त
•जिला स्तर पर विकास खंड अधिकारियों का प्रशिक्षण- 22 व 23 अगस्त
•जिला स्तर पर आरक्षित ग्राम पंचायत के प्रधानों, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के आरक्षित प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के आवंटन का डीएम प्रस्ताव तैयार करेंगे - 24 से 30 अगस्त
•शासनादेश में तय स्थानों पर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के आरक्षित वार्डों के अवांटन की प्रस्तावित सूची का डीएम द्वारा प्रकाशन - 31 अगस्त से दो सितंबर
•प्रस्तावों पर आपत्तियां प्राप्त करने का समय - 31 अगस्त से 6 सितंबर
•आपत्तियों का परीक्षण व निस्तारण - 8 व 9 सितंबर
•डीएम द्वारा आरक्षित ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायतों के वार्डों की अंतिम सूची का प्रकाशन- 10 व 11 सितंबर
•डीएम द्वारा शासनादेश में बताए गए फ ॉर्मेट पर आरक्षित ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के वार्डों की सूचना निदेशक पंचायतीराज को उपलब्ध कराना -12 सितंबर

नाबालिग बच्ची के साथ सनसनीखेज घटना 'पिता अपनी बेटी का बलात्‍कार करते रहे और मां चुपचाप देखती रही'


मुंबई। नगर के एक स्कूल में पढ़ने नाबालिग बच्ची के साथ सनसनीखेज घटना 'पिता अपनी  बेटी का बलात्‍कार करते रहे और मां चुपचाप देखती रही'। नाबालिक छात्रा आठवीं क्लास में पढ़ती  थी उसने अपने पिता पर बलात्कार करने का आरोप लगाया है।
  सूत्रों के अनुसार नाबालिक छात्र  ने स्कूल की अध्यापिका को एक पत्र लिखा जिसमे छात्र ने अध्यापिका से  मदद मांगी। बच्ची ने चिट्ठी में लिखा कि, उसका पिता उसके साथ बलात्कार करता है। इसके साथ ही मां भी चुपचाप उसके पिता को यह सब करता देखती है लेकिन कुछ बोलती नहीं है।
इस सनसनीखेज खत को पाने के बाद अध्यापिका ने स्थानीय एनजीओ से संपर्क किया। इसके बाद एनजीओ ने बच्ची के माता-पिता के खिलाफ पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
पुलिस को दिए बयान में नाबालिग ने कहा कि, 'पापा सात साल की उम्र से ही मेरा बलात्कार कर रहा है। बच्ची ने बताया कि, बलात्कार के दौरान मेरी मां भी वहां मौजूद होती है। इसके बाद वह मुझे खाने के लिए एक दवा भी देती है।'
मामले की जांच करते हुए पुलिस ने नाबालिग की मां से भी पूछताछ की है। पुलिस अधिकारी के अनुसार, 'हम इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। इसी बाबत हमने बच्ची की मां से भी पूछताछ की है। इसके साथ ही पिता को भी हिरासत में ले लिया है।'
पुलिस को दिए गए बयान में मां ने बच्ची के द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को गलत बताया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पीडि़त बच्ची का पिता घर का पेट पालने के लिए फल का ठेला लगाता है।

आईपीएस अमिताभ ठाकुर के विरुद्ध गोमतीनगर थाने में दुष्कर्म का मुकदमा पंजीकृत


लखनऊ। आईपीएस अमिताभ ठाकुर के विरुद्ध गोमतीनगर थाने में दुष्कर्म का मुकदमा पंजीकृत होने पर रिटर्न एफ आई आर का ठाकुर दंपत्ति ने पलटवार करते हुए कहा है कि "मैं अपने और पत्नी डॉ नूतन के ऊपर गाजियाबाद की एक महिला द्वारा कल गोमतीनगर थाने पर दी गयी तहरीर पर बलात्कार का मुक़दमा पंजीकृत कराये जाने का स्वागत करता हूँ लेकिन  इसे श्री मुलायम सिंह का रिटर्न उपहार  मानता हूँ।  मेरे पास तमाम ऐसे ठोस तथ्य व  साक्ष्य हैं जो इस बलात्कार के आरोप को पूरी तरह गलत करार करने हेतु  पर्याप्त है। उनका मानना है कि इसी बहाने राजनेता-अपराधी-प्रशासन का गठजोड़ उभर कर सामने आएगा।  उन्होंने स्पस्ट  रूप से कहा कि उन्हें इलाकाई  पुलिस पर जरा सा भी भरोसा नहीं और वे समूचे मामले की सीबीआई जांच के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। इस दौरान आने वाली सभी परेशानियों को मैं और नूतन एक सौगात मानते हैं." उन्होंने ने ये बातें अपनी फेसबुक आई डी Amitabh Thakur के माध्यम से ट्वीट की है।  
आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने शुक्रवार को एक आडियो रिकार्डिंग जारी कर मुलायम सिंह यादव पर धमकी देने का आरोप लगाया था। रिकार्डिंग के साथ बातचीत का ब्योरा जारी किया था। इसी को आधार बनाकर शनिवार सुबह करीब 11 बजे मुलायम के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने हजरतगंज कोतवाली पहुंचे। पुलिस के आना-कानी करने पर उन्होंने धरने पर बैठने की चेतावनी देकर पुलिस से प्रार्थना पत्र रिसीव कराया। इस प्रार्थना पत्र में धमकी की पृष्ठभूमि में कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति व अन्य केखिलाफ एफआइआर दर्ज कराया जाना बताया गया है।
समूचे  घटनाक्रम के बीच कल शाम गाजियाबाद निवासी महिला व उसका पति डीजीपी मुख्यालय पहुंचे और आरोप  लगाया है कि 31 दिसंबर 2014 को गोमतीनगर थाने में दी गई उनकी तहरीर पर मुकदमा नहीं लिखा जा रहा है। उसे न्याय दिलाया जाये। डीजीपी मुख्यालय के अधिकारियों ने पीडि़त को महिला थाने भेज दिया। एसएसपी राजेश पांडेय के मुताबिक पीडि़त महिला के बयान की वीडियोग्राफी कराकर व उसकी तहरीर पर अमिताभ ठाकुर व नूतन ठाकुर के खिलाफ गोमतीनगर थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया गया है। उन्होंने बताया कि महिला के बयान को नूतन ठाकुर की ओर से गोमतीनगर थाने में 20 जून को मंत्री गायत्री प्रजापति व महिला आयोग की अध्यक्ष जरीना उस्मानी समेत आठ लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे की विवेचना में भी शामिल किया जायेगा। इस समूचे मामले को लेकर आमजन में तरह तरह  चर्चाये की जा रही है , लोगों द्वारा यहाँ तक कहा जा रहा है की अच्छा होता कि माननीयों को अपनी सीमा में रहना चाहिए एवं कठिन परिश्रम व त्याग के बल पर देश की सर्वोच्च सेवा आईएएस और आईपीएस में आये अधिकारियो को स्वतंत्र रूप से उन्हें उनका कर्तव्य निभाने का खुली छूट दे देनी चाहिए , काश यदि ऐसा होता तो  समूचे दुनिया में विकाससील देशो में भारत का नाम पहले नंबर पर हो जाता। 

2005 से पूर्व की करेंसी बदलने की सीमा छः माह बढ़ी

कुंवर दीपक सिह (रिंकू)
जौनपुर - रिजर्व बैंक ने वर्ष 2005 से पहले के करेंसी नोटों को बदले की समय सीमा छः माह बढ़ाकर आवाम को भारी राहत पहुचाया है ,अब 2005 से पहले के सभी नोट बदलने की समय सीमा 31 दिसंबर 2015 कर दी है , इसके पहले रिजर्व बैंक ने एक आदेश के तहत नोट बदलने की समय सीमा 30 जून 2015 किया था , समय नजदीक आते ही आवाम में खलबली मच गयी थी ,  बैंको की तरफ रुख कर दिए थे। 
     रिजर्व बैंक द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार 31 दिसम्बर 2015 के बाद 100 से लेकर 1000 तक के ये सभी नोट जो 2005 से पूर्व के होंगे वह प्रचलन से बाहर हो जायंगे , उनकी कोई कीमत नहीं रहेगी। भारती रिजर्व बैंक के अनुसार इस निर्णय के पीछे काला धन रखने वालो के ऊपर लगाम लगाना होगा , अब तक नोट बदलने की सीमा 30 जून थी ,  प्रत्येक दशा में 2005 से पहले सभी नोट बदल दिए जायंगे। 

मां का दूध 6 माह तक पिलायें


जौनपुर । मुख्य विकास अधिकारी पीसीश्रीवास्तव, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 दिनेश कुमार यादव ने  मछलीशहर विकास खण्ड सभागार में राज्य पोषण मिशन, मुख्यमंत्री जल संचय, श्रमिकों के कल्याणकारी योजनाओं, मनरेगा, स्वच्छता, मेड़बन्दी आदि के विषय में ग्राम प्रधानों, आशा और आगनबाडी कार्यक्रत्रियों की जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। सीडीओ ने बताया  12 से 18 वर्ष के किशोरियों को जाँच कराकर उनमें पायी गयी कमी के अनुसार उन्हे आयरन की गोली एवं पोषाहार देकर स्वस्थ्य रखना है। बच्चों के वजन की मशीन, ब्लडप्रेशर नापने की कम्प्यूटराइज मशीन, ब्लड जाँच की मशीन एएनएम को उपलब्ध कराया गया है। मुख्य विकास अधिकारी ने मनरेगा के तहत मुख्यमंत्री जल बचाओं अभियान के अन्र्तगत सीमान्त एवं लद्यु सीमान्त कृषकों के खेतो की मेड़बन्दी, खेत का पानी खेत में रखने, कन्टूरबांध के अन्तर्गत बंधा बनवाने, तलाबों की खुदाई कराने, नहरों से पानी भराने, तलाबों के किनारे वृक्ष लगवाने आदि के बारे में प्रधानों से अपील किया है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 दिनेश कुमार यादव ने किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, कुपोषित बच्चों की चिकित्सकों की टीम ने ब्लडप्रेसर, खून की कमी की जाॅंच व बच्चों का वजन कराया गया जिसमें खून की कमी पायी जाने वाली गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली व पोषाहार दिया गया। उन्होंने बताया कि 8 प्रकार की बीमारियों से बचाव के लिए बच्चों को टिटनेश, खसरा, गलाघोटू, मस्तिक ज्वर आदि के बारे में ए0एन0एम0 एवं आगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा बीचण्डी के तहत बुद्धवार एवं शनिवार को टीका लगाया जाता है। बच्चा पैदा होने के एक घण्टे के भीतर माँ का दूध अवश्य पिलाये तथा 6 माह तक माँ का दूध ही पिलाये। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी पवन कुमार यादव, खण्ड विकास अधिकारी जीपी कुशवाहा, चिकित्सकों की टीम आदि उपस्थित रहें।

जनपद में आरओ प्लाण्ट का पानी दो गुना मंहगा


जौनपुर। जनपद में जहाँ एक एक ओर प्रशासन ने आरओ प्लाण्ट पर शिकन्जा कसना शुरू कर दिया है और इसके संचालकों में खलबली मची हुई है। वहीं अब इसके संचालक उपभोक्ताओं के शोषण पर उतारू हो गये है। पहले आरओ प्लाण्ट का पानी 20 रूपये बाटल बिक रहा था। उसका दाम बढ़ाकर दो गुना कर दिया है। इतना ही नहीं अब ठेले पर बाटल चादर से ढक कर आपूर्ति किया जा रहा है। ज्ञात हो कि प्रशासन के निर्देश पर खाद्य विभाग द्वारा पहले चार अवैध आरओ प्लाण्ट पर छापा मारकर कार्यवाही की गयी। जिससे प्लाण्ट के अन्य दजनों की संख्या में संचालकों में खलबली मच गयी। सभी एक जुट होकर जिलाधिकारी के पास मांग पत्र ले गये तो उन्होने साफ शब्दों में कहा कि बिना नियम कानून के पानी के प्लाण्ट नहीं चलने दिया जायेगा और प्रकरण को सिटी मजिस्ट्रेट के पास भेजा गया तो उन्होने संचालकों के साथ बैठक किया और निर्णय लिया गया कि 17 जून तक आरओ प्लाण्ट चलते रहेगे। इसके बाद जिलाधिकारी के साथ बैठक होगी तभी निर्णय लिया जायेगा। दर असल में आरओ प्लाण्ट का नियमानुसार लाइसेन्स नहीं लिया गया है और शुद्ध पानी के नाम पर प्रदूषित पानी लोगों को दिया जा रहा है तथा उपभोक्तओं का शोषण किया जाता है। पहले जिन चार प्लाण्ट पर छापा पड़ा था वहां से आपूर्ति किये जाने वाला पानी मानक पर खरा नहीं उतरा तब इनपर शिकन्जा कसना शुरू हो गया। यदि प्रशासन शुद्ध पानी के नाम पर इन अवैध धन्धे बाजों के प्रति सख्त रवैया नहीं अख्तियार करता तो इनकी मनमापी बन्द नहीं होगी।

परिवहन मंत्री जी आखिर कैसे सुधरेगें,जौनपुर एआरटीओ दफ्तर के हालात ?


जौनपुर. जिला प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद , सत्ता पक्ष के गलियारे में अच्छी पैठ बनाने वाले कतिपय दलालों की दबंगई से एआरटीओ दफ्तर इन दिनों भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है।
जिलाधिकार भानुचन्द्र गोस्वामी और पुलिस कप्तान भारत सिंह यादव के साथ भारी फोर्स लेकर दफ्तर के हालात को सुधारने हेतु दफ्तर पर औचक निरीक्षण कर , छोट-मोटे दलालों को हिरासत में लेकर , उन्हे जेल भेजने तक की कार्यवाही सम्पादित की थी ,साथ ही विभाग के उदासीन अधिकारियों कर्मियों को   चेतावनी देते हुए कार्यालयीय कामकाज में सुचिता लाने की नसीहत भी दी थी, लेकिन स्थिति सुधरने की बजाए और बद्त्तर होती जा रही है।
एआरटीओ दफ्तर में अवैद्य वसूली का खेल आज भी खुलेआम चल रहा है , कारण की इस गोरख धन्धे में लिप्त सरगना की सत्ता पक्ष के गलियारे में अच्छी पैठ बतायी जाती है।
बताते है  कि  इस दफ्तर में कतिपय बाबूओं की सहमति से फिटनेस से लेकर ,अन्य कागजातों के नवीनीकरण ,वाहनो के स्थानान्तरण ,डीएल बनवाने हेतु सभी के रेट निर्धारित है। यदि किसी ने दलालों को निर्धारित राशि अपने कार्य को कराने हेतु दे दिया , तो उसका कार्य तत्काल हो जायेगा , यदि किसी ने नियम कानून की बात की तो समझिए उसका काम फॅसा ।
बता  दें कि जिलाधिकारी द्वारा छापेमारी की कार्यवाही के बाद ,एआरटीओ प्रशासन चिकित्सकीय अवकाश पर चले गये और वही दूसरी तरफ आर0आई0 कार्यालयीय कामकाज को निपटाने हेतु दफ्तर में केवल दो दिन ही बैठते है, कारण जानने पर पता चला कि गैर जनपद से उन्हे दफ्तर पहुचने में दोपहर हो जाता है।
एआरटीओ प्रवर्तन बी0के0 सिंह एआरटीओ प्रशासन का भी कामकाज सम्भाल रहे है , ऐसे में दफ्तर में कामकाज की शुरूआत होने में प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से ही शुरू हो पाता है, कारण की दफ्तर में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नही होता ,साथ ही कभी सर्वर डाउन होने का चक्कर तो कभी जनरेटर में डीजल न होना । बिजली की अनियमित कटौती तो आम बात हो चली है।
परिवहन विभाग के मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव से जौनपुर के तमाम लोगों ने जानना चाहा है कि दफ्तर के बदत्तर  हालत पर सुधार हेतु कोई कारगर कदम कब तक उठाया जायेगा , अन्यथा उनके पार्टी के मिशन 2017 का क्या होगा , आखिर जनता भी मौका मिलने पर कसर तो निकालेगी ही ।
दफ्तर के पडताल में यह देखा गया कि जनपद के ग्रामीणाचल से आये लोग डीएल बनवाने हेतु सुबह 8 बजे से ही भीषण गर्मी व धूप में लाइन में लग जाते है , करीब 11 बजे के बाद कार्यालय का एक चर्चित बाबू आता है , फिर डीजल मॅगवाया जाता है , उसके बाद कार्यालय का काम शुरू होता है। दबंग दलालों का कागजात बनवाने हेतु भोले-भाले नागरिको से वसूली का खेल । 
कागजात बनवाने आये तमाम लोगों ने बताया कि कार्यालय में इन दिनों किसी कार्य को कराना वह भी बिना पैसे के यह सम्भव ही नही है । जनपद के प्रबुद्वजननो ने प्रदेश सरकार के मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव से आग्रह किया है कि काश वे स्वयं ही या अपने द्वारा किसी टीम से कार्यालय के कार्यो की जाच करा ले तो वास्तविकता से वे स्वय भी वाकिप होंगे और सरकार को भारी नुकसान से भी बचाया जा सकता है ।

अधिकारियो के उदासीन रवैये के चलते गिर रहा है प्राथमिक शिक्षा का स्तर


कपिलदेव मौर्य
जौनपुर। देश के भविष्य एवं समाज के नौनिहालो को शिक्षित करने केन्द्र एवं प्रदेश की सरकारो द्वारा तमाम प्रयास तो किये जा रहे है नित्य नए प्राविधान लागू किये जा रहे है। लेकिन प्राथमिक  शिक्षा के जिला स्तरीय अधिकारियों की उदासीन रवैये के चलते प्राथमिक विधालयो के शिक्षा का स्तर इतना गिर चुका है कि इसका पूरा लाभ प्राईबेट विधालयों के संचालक उठाकर मालामाल हो रहे है। बिभाग के जिम्मेदार अधिकारी शिक्षा बिभाग मे ब्याप्त दुब्र्यवस्था को सुधारने का कोई भी सार्थक प्रयास नही कर रहे है। सरकारी खजाने से बेतन आहरित करने वाले राजनीति एवं ठेकेदारी में मस्त है शासन के द्वारा जारी अदेशो का अनुपालन कागज के पन्नो तक सीमित कर दिया गया है। जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी भी दावे तो तमाम करते है लेकिन प्राथमिक विधालयो के शिक्षा स्तर को ऊंचा उठाने के लिएकिसी प्रकार का प्रयास नही करना उन्हे भी सवालो के कटघरे मे खड़ा करता है।
     जनपद जौनपुर की बात करे तो इस जिले के 21 विकास खण्डो में लगभग    3 हजार के आस पास प्राथमिक विधालय है। जिसमे  शिक्षको की संख्या लगभग 10 हजार के आस पास है। जिन्हे प्रतिमाह करोणो रू0 बेतन सरकारी खजाने से दिया जा रहा है। ताकि देश के भविष्य अमीर गरीब सभी के बच्चो को प्राथमिक स्तर पर अच्छी एवं गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा दी जा सके। इसके अलावां सरकार के द्वारा जनपद मे लगभग दो सौ से अधिक वित्त पोषित प्रबन्धकीय प्राथमिक विधालय को मान्यता दी गयी है इन्हे भी सरकारी खजाने से बेतन देय है। ताकि शिक्षा के स्तर को सुधारा जा सके लेकिन इसके बावजूद प्राथमिक विधालयो मे शिक्षा की गुणवत्ता को उच्चस्तरीय नही बनाया जा सका है। जिसका परिणाम एकदम साफ नजर आ रहा है कि प्राईबेट विधालय कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहे है। और अच्छी शिक्षा के नाम पर अधिक फीस लेकर समाज का शोषण कर रहे है।
     प्राथमिक विधालयो की शिक्षा ब्यवस्था को ठीक एवं अच्छी बनाने के लिए जिले में तैनात जिला स्तरीय वेसिक शिक्षा अधिकारी स्वयं अपने जिम्मेदारियो के प्रति गम्भीर नही नजर आते तो उनके अधिनस्तो से क्या अपेक्षा की जा सकती है। सू़त्र बताते है कि प्रतिदिन शिक्षण कार्यदिवस में खुद वीएसए दिन में 11अथवा 12बजे तक अपने अफिस में बैठा कर गपमारते है। तो शिक्षक क्या शिक्षा के प्रति गम्भीर हो सकेगा साथ ही एक बड़ा सवाल यह भी है कि जब बरिष्ट अधिकारी काम के प्रति गम्भीर नही है तो उसके अधीनस्त जनो के बारे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है।  िकवे अपने जिम्मेदारियों के प्रति कितने गम्भीर होगे।
     जिले मे शिक्षको की पर्याप्त संख्या होने के बाद भी लगभगएक दर्जन से अधिक विधालयो में शिक्षको का अभाव हमेसा बना रहता है। इसके पीछे जो कारण उभर कर सामने आया है उसके अनुसार शहर के आसपास के विधालयो मे नौकरी करने के लिए शिक्षक साम दाम दन्ड भेद सब कुछ अपनाते है। इनके आग में घी डालने का काम अधिकारी करते है।वीएसए खुद मनमानी तरीके से  शहर के आसपास विकास खण्डो मे शिक्षको की तैनाती दे दियेे है जिसका परिणाम है कि शिक्षक विधालय मे उपस्थित रहने के बजाय जिला मुख्यालय पर रहता है और पूरे दिन वीएसए कार्यालय पर अपने अधिकारी के इर्द गिर्द घूमता नजर आता है। कभी भी अधिकारी यह नही पूंछता कि उसका अध्यापक शिक्षण कार्य अवधि मे यहां पर क्या कर रहा है। प्रश्न उठता है जो अधिकारी शिक्षक से अपनी जेब भरने मे लगा हो क्या वह अपने मातहत पर किसी भी प्रकार का दबाव बना सकता है तो उत्तर यही मिलेगा नही। ऐसी दशा में शिक्षक मनमानी तो करेगा ही उस पर किसी भी प्रकार का नियन्त्रण करना कठिन है। 
     खबर यह भी है कि प्राथमिक विधालयो के शिक्षक बेतन भले ही शिक्षा बिभाग से लेते है परन्तु अपना मूल कार्य करने के बजाय ठेकेदारी से लेकर राजनीति मे अपना पूरा समय देते दृष्टिगोचर होते है। प्राथमिक विधालयो की शिक्षण ब्यवस्था अब तक कुछ हद तक शिक्षा मित्रो के भरोसे चल रही थी अब शिक्षा मित्रा भी शिक्षक बन गये और शहर की ओर रूख कर लिए है। यानि रही सही जो ब्यवस्था शिक्षा की थी अब वह भी जर्जर हो जाने के संकेत मिल रहे है। 
      यहां बताना चाहेगे कि जिले के सर्वोच्च प्रशासनिक कुर्सी पर आसीन अधिकारी ने कार्यभार ग्रहण करते समय मीडिया के समक्ष बयान दिया था कि उसके प्राथमिकता के कार्यो मे शिक्षा स्वास्थ्य एवं स्वच्छता है। अधिकारी ने स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के प्रति चाहे जितना प्रयास किया हो लेकिन शिक्षा का स्तर दिनो दिन गिरता ही जा रहा है। उसे उपर उठाने के लिए इनके द्वारा भी संभवतः कोई खास प्रयास नही किया गया है। यदि मान ले कि प्रयास किये गये है तो उसका कोई असर नही नजर आ रहा है। शिक्षा बिभाग के एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि यहां पर भ्रष्टाचार तो है लेकिन अन्य और बिभागो की अपेक्षा कम है। प्राथमिक विधालयो मे शिक्षा की जो स्थिति आज है उसके लिए कोई एक ब्यक्ति जिम्मेदार नही बल्कि नीचे से उपरा तक मंत्री से लेकर अधिकारी तक सभी जिम्मेदार है। नौकरी करने के लिए मंत्री जी की बात माननी पड़ेगी शिक्षा का स्तर गिरे या उठे इससे कोई लेना देना नही है। जो भी हो समाज के इन नौनिहालो के बिषय में नही सोचा गया तो आगामी समय में इसका खासा बुरा असर देश एवं समाज को झेलना पड़ सकता है. 

भगवान राम की अयोध्या उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी है


मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य का
अपनी किताब ‘फैक्ट्स ऑफ अयोध्या एपीसोड’ में दावा
राम मंदिर और भगवान राम के जन्म को लेकर एक विवादास्पद बयान सामने आया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) के एक सदस्य ने दावा किया है कि भगवान राम की अयोध्या उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि पाकिस्तान में है। एआइएमपीएलबी के सहायक महासचिव अब्दुल रहीम कुरैशी ने अपनी किताब ‘फैक्ट्स ऑफ अयोध्या एपीसोड’ में लिखा है कि उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में स्थित अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि नहीं है।

इस शहर को 700 ईसा पूर्व बसाया गया था, जबकि राम का जन्म 1.8 करोड़ साल पहले माना जाता है। कुरैशी ने अपनी किताब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुरातत्वविद जस्सू राम और अन्य के शोधपत्रों को शामिल किया है। इस किताब में राम के परदादा राज रघु द्वारा स्थापित और स्वयं भगवान राम द्वारा स्थापित दो अयोध्या का जिक्र है। कुरैशी ने कहा कि जस्सू ने अपने शोधपत्र ‘रामायण का प्राचीन भूगोल’ में लिखा है कि दोनों अयोध्या पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत (वर्तमान में खैबर पख्तूनख्वा) के डेरा इस्माइल जिले में हैं। एआइएमपीएलबी की ओर से अदालत में अयोध्या मामले को लड़ रही कमेटी के अहम सदस्य कुरैशी ने कहा कि फैजाबाद जिले में स्थित अयोध्या को 7वीं सदी ईसा पूर्व में साकेत कहा जाता था।
संभव है कि 11वीं सदी में हिन्दुओं ने इसका नाम अयोध्या रखा हो। कुरैशी ने कहा कि अगर फैजाबाद स्थित अयोध्या ही राम की जन्मस्थली होती तो मुगल बादशाह अकबर के काल में रामायण लिखने वाले तुलसीदास मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाए जाने का जिक्र अवश्य करते। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों को अदालत के समक्ष रखा जाएगा। कुरैशी ने विवादित स्थल में राम की मूर्तियां और अन्य प्रतीक रखे जाने को एक षड्यंत्र बताया है।

आपदा से किसान तवाह ,सदमें से मौत का सिलसिला जारी


जौनपुर। प्रकृति की मार से आहत किसानो की मौत का सिलसिला रूकने का नाम नही ले रहा है। जिले मे अबतक तीन किसानो के मरने की खबर है जबकि सरकारिया तन्त्र इसे स्वीकारने को तैयार नही है। हां इतना स्वीकार कर रहा है कि अब तक 52 हजार हक्टेयर  गेहूं की फसल बेमौसम वर्षात से नष्ट हुई है। लकिन प्राकृतिक कहर के चलते कोई मौत नही हुई है। सरकारी अभिलेख में अपदा से पीडि़त जनो को मरने वालो का नाम दर्ज न किये जाने के पीछे कारण जो भी हो परन्तु सच को बदलना किसी के बस में नही है।सरकारि तन्त्र चाहे जो रिपोट शासन को प्रेषित करे सच तो यही है कि इा दैवी आपदा से तबाह किसानो के आंसू थमने का नाम नही ले रहे है।
   जिले मे बदलापुर तहसील क्षेत्र के ग्राम जनौर निवासी इन्द्र प्रकाश सिंह 50 वर्ष की मौत अपनी दस एकण फसल की बर्बादी नही सह पाने के चलते हो गयी है। वे वर्षात के बाद सुबह अपनी फसलो के स्थिति जायजा लेने खेत में गये थे वहीं पर अपने फसलो की तबही देख कर मुर्छित हो गये और गिरे तो फिर नही उठ सके और उनका प्राणान्त हो गया। इसी क्रम मे तहसील सदर क्षेत्र स्थित ग्राम शेखवलिया निवासी जगरनाथ यादव की मौत अपने गेहूं की फसल की बर्बादी को देख कर हो गयी है। ये ख्े तमे कटी फसल को इकठ्ठा कर रहे थे उसी समय वर्षात शुरू हो गयी  भीगती फसल को देख कर सदमें में आ गये और वही पर गिरे और दम तोड़ दिया । तहसील मछली शहर क्षेत्र स्थित ग्रामसरांवा निवासी इन्द्रपाल पटेल नामक किसान के लिए खेती ही उसके जीविका का सहारा थी इसलिए  अपने  सात बीघा गेहूं की फसल को बर्बाद होता देख गमजद हो कर बेहोस हो गया  फिर होश में नही आया । 
      जिले के जिम्मेदार अधिकारी प्राकृतिक आपदा चलते मरने वालो की पुष्टि नही कर रहा है लेकिन इतना तो स्वीकार कर रह कि जिले में कुल 52 हजार 210 एकड़ की फसले बर्बाद हो चुकी है। किसानो को मरहम लगाने की कवायत जिला प्रशासन की ओर से किया जा रहा है। जिलाधिकारी के द्वारा अपने अधिनस्त उप जिला धिकारियो को खुद सर्वे कर रिपोट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। बर्बाद फसलो की जो रिपोट षासन को प्रेषित की गयी है। उसके तहत शासन से 74 करोड़ 81 लाख 75 हजार रू0 की मांग की गयी है। जिसे प्राप्त होने पर किसानो को दिये जाने की बात की जा रही है। यह तो सरकारी आंकड़ा है लेकिन सच के धरातल पर जाये ंतो फासलो के बर्बादी का नजारा कुछ अलग ही दृष्टिगोचर होगा। अन्तर दो गुने से अधिक होगा।
    जो भी हो प्राकृतिक आपदा की मार से बेहाल किसानो के आंसू रूकने का नाम नही ले रहे है। सबसे बड़ी चिन्ता पूरे एक वर्ष तक रोटी की है कि किसान स्वयं एवं अपने परिजनो को पेट कैसे भर सकेगा। कौन देगा उसे रोटी, कैसे अपने बेटी का हाथ पीला कर सकगा। आदि तमाम समस्याये उसके समक्ष सुरसा की तरह मुंह फैलाये खड़ी है। इसका उत्तर न खोज पाने पर मजबूर किसान सदमे में आकर मरने को मजबूर हो जा रहा है।  

अम्बेडकरनगर के किसान ने पैदा किया सवा किलो वजन के आलू

किसान के खेत में उत्पादित प्रत्येक आलू का वजन लगभग 500 ग्राम
अम्बेडकरनगर। इसे प्राकृतिक चमत्कार कहें अथवा दैवीय चमत्कार लेकिन यह पूरी तरह सही है कि एक किसान के खेत में पूरे सवा किलो वजन का एक आलू पैदा हुआ है। जिसे देखने वालों का तांता लगा हुआ है। अमूमन आधा किलो वजन तक का ही आलू यहां लोगों ने देखा है। लेकिन सवा किलों के इस आलू ने लोगों की उत्सुक्ता बढ़ा दी हैं। विकास खण्ड कटेहरी अन्तर्गत ग्राम सभा संग्रामपुर के गांव पिलखांवा का एक किसान अपने खेत में सवा किलो का एक आलू पैदा कर रिकार्ड कायम किया। पिलखांवा गाँव निवासी झपसी पुत्र भदई ने आलू की खेती किया जिसमें आलू की रिकार्ड पैदावार हुई। झपसी के खेत में एक आलू काफी बड़े आकार व वजन का पैदा हुआ जिसकी तौल की गयी तो वह एक किलो 250 ग्राम का निकला यही नहीं उक्त किसान के खेत में पैदा हुए एक.एक आलू का वजन लगभग 500 ग्राम तक है। सवा किलोग्राम का आलू पैदा होने की खबर से लोगों में कौतूहल है और उस आलू को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है। लोग दूर.दूर से इसे देखने के लिए आ रहे हैंए और किसान झपसी से आलू की प्रजाति तथा बोने की विधि की जानकारी ले रहे हैंए ताकि वो लोग भी आलू का अच्छा उत्पादन कर सकें।

अब यूपी में भी चलेंगी वाटर बसें विदेशों की तरह पानी पर सफर का मजा लेंगे यात्री

लखनऊ-अब यूपी में भी चलेंगी वाटर बसें विदेशों की तरह पानी पर सफर का मजा लेंगे यात्री ऐसी योजना बनाई जा रही है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसका एलान करते हुए कहा कि अब जनता को सिटी बसों और ट्रेनों में धक्‍के नहीं खाने पड़ेंगे। लोग अब पानी पर चलने वाली बसों का आनंद उठा सकेंगे। गडकरी ने बताया कि मुंबई में इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया गया है। यहां शिप लेन को अनुमति भी दे दी गई है। साथ ही उन्‍होंने कहा कि मुम्‍बई के साथ.साथ यूपी में भी वाटर बस चलाने की पूरी संभावना है।  

प्रदेश के बदायूं जनपद में खाकी हुई फिर शर्मसार,दो पुलिसकर्मियों ने किया किशोरी से रेप

सुभाष पाण्डेय
लखनऊ - बदायू जनपद के मूसाझाग क्षेत्र थाना क्षेत्र में दो पुलिसकर्मियों ने 14  वर्षी नाबालिग युवती से गांव के रास्ते से उठा लिया और थाने में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बृहस्पतिवार देर रात दोनों सिपाहियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और उनकी तलाश की जा रही है।
मिली सूचना के आधार पर 14 वर्षीय लड़की घर से बाहर निकली थी। ऐसा आरोप है कि इसी दौरान पास से गुजरते मूसाझाग थाने में तैनात दो पुलिसकर्मी जो शराब के नशे में धुत थेए किशोरी को जबरन जीप में डालकर थाने ले गए। किशोरी की हालत बिगडऩे पर दोनों पुलिस जीप से उसे गांव के बाहर छोड़कर भाग निकले। बदहवास किशोरी ने घर पहुंचकर बताया तो परिजन बृहस्पतिवार सुबह एसपी सिटी लल्लन सिंह से मिले। घटना की नामजद तहरीर दी। देर रात आरोपी सिपाहियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जनपद की पुलिस , सिपाहियों की तलाश में क्राइम ब्रांच टीम को इनकी गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दिया है। संतोष कुमार सिंह एसएसपी  का कहना है कि फरार दोनों सिपाही की जल्द ही गिरफ्तारी हो जाएगी।

पाकिस्तान के तालिबानी हमले में मृतकों को दी गयी श्रद्धांजलि

 जौनपुर। आतंकवाद देश ही नहीं, बल्कि विश्व के लिये खतरनाक हो चुका है। इसका न कोई धर्म होता है और न ही इसकी कोई जाति। उक्त बातें बीते मंगलवार को पाकिस्तान में हुये तालिबानी हमले में सैकड़ों स्कूली बच्चों की दर्दनाक मौत पर आज जनपद के विभिन्न स्कूल व कालेजों में आयोजित शोकसभा के दौरान बच्चों व शिक्षकों ने कही। इसको लेकर जनपद के अधिकांश स्कूलों में शोकसभा कर मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि देते हुये आतंकवाद के खिलाफ सभी से एकजुट होने की अपील किया।
    नगर के राजा श्रीकृष्ण दत्त इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य डा. सत्य राम प्रजापति ने पाकिस्तान के आर्मी स्कूल में हुये आतंकी हमले की निंदा करते हुये शोकसभा किया जहां छात्र व छात्राओं सहित शिक्षकों व कर्मचारियांे ने आतंकवाद के खात्मा के लिये संकल्प लिया। साथ ही दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत बच्चों सहित अन्य लोगों को श्रद्धांजलि दिया। इस मौके पर इन्द्र बहादुर सिंह, अशोक मिश्र, अशोक तिवारी, डा. रमेश, डा. विश्वनाथ यादव, प्रकाश नारायण सिंह, रवि प्रकाश सिंह, सत्य प्रकाश सिंह, राम प्रताप, बिन्दो सिंह, नागेन्द्र प्रसाद यादव सहित अन्य उपस्थित रहे।
    सामाजिक व धार्मिक संस्था ‘कल्याण संस्था’ के अध्यक्षता मोती लाल यादव की अध्यक्षता में डढि़याने टोला स्थित मां दुर्गा पूजा स्थल पर शोकसभा हुई जहां मानवता को शर्मसार करने वाले आतंकवादियों द्वारा मासूम बच्चों सहित सैकड़ों की हत्या की निंदा करते हुये सम्पूर्ण विश्व के देशों से आतंकवाद को समाप्त करने की अपील की गयी। तत्पश्चात् संस्था के सदस्यों ने आतंकवाद का पुतला फूंककर अपने गुस्से का इजहार किया। शोकसभा में मो. इलियास, मनोज यादव, बबलू कन्नौजिया, सुनील यादव, नितेश यादव, मो. शाहिद, रामजी यादव, शकील अहमद, विनोद यादव, विकास यादव, मो. मेराज, मनीषदेव, संतोष जायसवाल मौजूद रहे।
    इसी क्रम में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में शिक्षकों सहित छात्र व छात्राओं ने आतंकियों द्वारा मानवता के विरूद्ध अंधाधुंध गोलीबारी करके स्कूली बच्चों की हत्या की निंदा की। साथ ही शोकसभा करके मृतकों की आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखकर ईश्वर से प्रार्थना किया गया। इस मौके पर विभागाध्यक्ष डा. अजय प्रताप सिंह, प्रवक्ता डा. दिग्विजय सिंह राठौर, छात्र अब्दुल अहद आजमी, छात्र मनीष पाण्डेय, छात्र अंकित जायसवाल, छात्र दिग्विजय मिश्र सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
   

तहसील दिवस पर भाजपा नेता को गाजीपुर के डीएम ने चलाया थप्पड़

गाजीपुर । जनपद के जखनिया तहसील दिवस पर आज दोपहर भारतीय जनता पार्टी के एक नेता को जिले की एक खस्ताहाल सड़क दिखाना महंगा पड़ा जब डीएम गुस्से में आकर भड़क गए और तहसील दिवस पर ही उन पर थप्पड़  चला दिया । डीएम के इस दुर्भावपूर्ण  कृत्य से मौके पर मौजूद  भाजपा कार्यकर्ता व् मौजूद लोग हैरत में पड़ गए।  चलाया 
 सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गाजीपुर जिले की जखनिया तहसील पर आज दोपहर भाजपा के कार्यकर्ता ने डीएम नरेन्द्र सिंह पटेल को एक जर्जर हालत में पड़ी सड़क को दिखाने का अनुरोध किया लेकिन वे वहां जाने को तैयार नहीं थे, डीएम और एएसपी की इस अनदेखी पर भाजपा कार्यकर्तोओं ने कार के आगे लेट कर अपना विरोध जताया , मौके की नजाकत को देखते हुए डीएम कार से नीचे उतरकर भाजपा कार्यकर्तोओं से व्यस्तता बताते हुए बाद में सड़क देख लेने की बात कही , जबकि भाजपा के कार्यकर्ता उनसे मांग पर अड़े रहे। तहसील दिवस पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए डीएम के तेवर तल्ख़ हो गए और उन्होंने भाजपा नेता पर  थप्पड़ चला दिये। डीएम के इस दुर्व्यवहार से क्षुब्ध भाजपा के कार्यकर्ताओं ने विरोध जताते हुए वहां पर जाम लगा दिया जिससे आवागमन बाधित हो गया ।

शहर के सिपाह के समीप प्राइवेट बस पर हाईटेंशन तार की चपेट में आने से से दो की मौत व दस लोग गंभीर रूप से घायल




 दो की हालत नाजुक वाराणसी रेफर,मृतक के परिजनों को डीएम के निर्देश पर विद्युत विभाग देगा एक-एक लाख की अहेतुक सहायता 
    जौनपुर। सिटी  कोतवाली थाना क्षेत्र के सिपाह के समीप एक प्राइवेट बस पर आज उस समय हाईटेंशन तार गिर गया, जब वह सवारी लाद कर जौनपुर से मार्टिनगंज के लिए रवाना हो रही थी । इस दुर्घटना में मिस्त्री समेत  दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी जबकि दस लोग गंभीर रूप से झुलस गए , जिनमें से दो की हालत अत्यंत नाजुक होने के कारन उन्हें बेहतर इलाज हेतु वाराणसी के लिये रेफर कर दिया गया। बस पर विद्युत प्रवाहित तार गिरने की खबर मिलते ही जिला व पुलिस प्रशासन समेत पूरे जनपद में हड़कम्प मच गया जिसके चलते आनन-फानन में तमाम आलाधिकारी मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू कर दिये। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोपहर 1 बजे एक प्राइवेट बस नम्बर यूपी 50 टी-1468 सवारी लादकर शहर से मार्टिनगंज के लिए रवाना हो रही थी इसी बीच बस के ऊपर से गुजर रहे  हाईटेंशन तार के अचानक शार्ट शर्किट होने से विद्युत प्रवाहित तार बस पर गिर गयी। इस हादसे में जहां काम कर रहे मिस्त्री सहित दो की मौत हो गयी जबकि पानी बरसने के चलते उस पर सवार हुये 10 लोग झुलस गये। प्रत्यशदर्शियो की मने तो बस में करेन्ट उतरने की खबर मिलते ही बस के भीतर बैठे सवारियो में अफरातफरी मच गयी। जानकारी होने पर एबुलेंस सहित कई प्राइवेट वाहन मौके पर पहुंचकर सभी को उपचार हेतु जिला अस्पताल पहुंचाये जहां मिस्त्री सहित दो को मृत घोषित कर दिया गया। इसके अलावा 2 की हालत नाजुक होने पर वाराणसी के लिये रेफर कर दिया गया जबकि अन्य का उपचार हो रहा है। उधर सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड का वाहन मौके पर पहुंचा जहां फायर सर्विस के जवानों ने बस में लगी आग को बुझाया। जानकारी होने पर जिलाधिकारी सुहास एलवाई, आरक्षी अधीक्षक बबले कुमार, अपर जिलाधिकारी गंगाराम गुप्ता, अपर आरक्षी अधीक्षक रामजी सिंह यादव, उपजिलाधिकारी सदर/प्रभारी नगर मजिस्टेªट ज्ञानेन्द्र सिंह, क्षेत्राधिकारी नगर अभिषेक सिंह सहित तमाम प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गये। यहां से जिलाधिकारी व आरक्षी अधीक्षक जिला अस्पताल पहुंचे जहां उन्होंने कहा कि राहत कार्य शुरू हो गया है तथा स्थिति सामान्य हो गयी। मृतकों में रामवचन 60 वर्ष , तैयब मिस्त्री 50 वर्ष जो शहर के मियांपुर के निवासी बताये जा रहे है।
विद्युत विभाग की लापरवाही उजागर
    जौनपुर। विद्युत विभाग की एक और लापरवाही सोमवार को उस समय सामने आयी जब नगर के सिपाह में सड़क के किनारे खड़ी बस पर शार्ट सर्किट होने के बाद हाईटेंशन तार गिर गया। इस हादसे में जहां दो लोगों की मौत हो गयी, वहीं 10 लोग झुलस गये जिनमें से दो की हालत नाजुक बनी हुई है। इस हादसे से आक्रोशित लोगों का कहना है कि जहां एक ओर विभाग अभियान चलाकर राजस्व के साथ अपनी जेब की वसूली कर रहा है, वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की इस तरह की अदूरदर्शिता से लोगों की जानें जा रही हैं। यदि विभाग सभी जर्जर तारों को बदल दे तो शायद शार्ट सर्किट के बाद ऐसे तार जमीन पर न गिरें और उनकी चपेट में आने से किसी की जान न जाय।
मृतकों के परिजनों के लिये आर्थिक सहायता घोषित
    जौनपुर। जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि सोमवार को शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के होटल रिवर व्यू के पास विद्युत प्रवाहित तार टूटकर ट्रक व प्राइवेट बस पर गिरने से दो व्यक्तियों की मौत हो गयी जिसमें सैयब अली 35 वर्ष निवासी शेखपुर थाना लाइन बाजार एवं रामबचन यादव 65 वर्ष निवासी बेलहरी थाना दीदारगंज जिला आजमगढ़ हैं। उक्त प्रकरण की मजिस्ट्रीयल जांच के लिये अपर जिला मजिस्ट्रेट गंगाराम गुप्त को नामित किया गया है। श्री एलवाई ने बताया कि मृतक दोनों व्यक्तियों को 1-1 लाख रूपये सहायता राशि विद्युत विभाग द्वारा दिया जायेगा। पारिवारिक लाभ योजना के अन्तर्गत प्रत्येक मृतक व्यक्ति को 30 हजार रूपये दिया जायेगा। इसके अलावा किसान दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत 5 लाख रूपये दिये जाने की जांच करायी जा रही है।

जनपद में राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में बड़ा घोटाला।

कपिलदेव मौर्या
विभाग के अधिकारी, बाबू,दलाल एवं अपात्र हुए मालामाल,पात्र आज भी है बेहाल। 
    जौनपुर। सरकारी योजनाओ का लाभ सामान्य पात्र जनेा तक कैसे पहुंच सकेगा जब सरकारिया तंत्र ही भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हो  ? जब अधिकारी अपने कर्मचारियों के साथ दलालों के चंगुल में हो जाये तो फिर सरकारी योजनाओं के विषय में बात करना ही गलत होगा। जी हां हम बात कर रहे है इस जनपद के समाज कल्याण विभाग की जो भ्रष्टाचार के आकंठ में गोते लगाने के लिए जाना जाता है और आये दिन भ्रष्टाचार के हैरतअंगेज कारनामे करना उसका आदत बन चुका है।अबकी बार राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में करोणो रू0 के लूट पाट का मामला प्रकाश में आया है। अधिकारी कर्मचारी एवं दलाल तीनो मिलकर वित्तीय वर्ष 2014-15 में फर्जीवाड़े का बड़ा खेल किया है लाभार्थियों की सूची में अपात्रों का नाम डालकर लगभग एक करोण के आसपास का चूना लगा दिये है। अब कागजी बाजीगरी का खेल करके स्वयं को सुरक्षित करने की फिराक में है। जांच के नाम पर किसी दूसरे विभाग के लोगो को जिम्मेदार ठहराने का षड़यन्त्र कर रहे है तभी इनके कुकृत्य की पोल मीडिया के हाथ लग गयी।
      राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना एक ऐसी योजना है जिसके तहत सरकार ने घर के मुखिया के निधन पर सम्बन्धित बिधवा को 20 हजार रू0देने की ब्यवस्था दी है।सरकार के निर्णयानुसार शुरू  की गयी इस योजना के संचालन का दायित्व समाजकल्याण बिभाग को दिया जो इस समय भ्रष्टाचार के आकंठ में डूब हुआ है अपात्रों को योजना का लाभ पहुंचाने के लिए शासनादेश  की अनदेखी कर दी गयी हैा है। शासनादेश के मुताबिक मुखिया की मौत उसी वर्ष हुई हो जिस वित्तीय वर्ष  की धनराशि का बितरण किया जा रहा हो सम्बन्धित वित्तीय वर्ष  से पूर्व मरने वालों को इस योजना का लाभ नही दिया जा सकता है।जैसा कि शासनादेष  में स्पष्ट  उल्लेख यह भी है कि मृतको का प्रमाण पत्र तहसील अथवा नगरपरिषद  आदि जिम्मेंदार बिभागो से जारी हो और इन्टरनेट पर उसका नम्बर भी मौजूद हो तभी सही माना जयेगा।
    दलालों के माध्यम से फर्जी प्रमाण के आधार पर अपात्रों का नाम सूची में डालकर सभी ने सरकारी धन की बंदरबाट कर लिया है इसके बाद अपने को सुरक्षित रखने के लिए जांच कराने का एक खेल शुरू कर दिया तभी सच सामने आ गया । जांच हेतु समाजकल्याण अधिकारी द्वारा उपजिलाधिकारी सदर को जारी किये गये अपने पत्र पत्रांक संख्या 3038/स0क0रा0प0ला0यो0/2014-15 से दिनांक 21.11.14 में स्पष्ट रूप् से लिखित कहा है कि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर लाभ लिए जाने की जांच कराकर अपात्र लाभार्थियो को लाभान्वित कराकर शासकीय धनराशि  का दुरुपयोग कराने में संलिप्त कर्मचारियों के बिरुद्ध बिभागीय कार्यवाही की जाये। समाज कल्याण अधिकारी के द्वारा जारी पत्र के साथ जो सूची दी गयी है उसमें 27 अपात्रों का नाम है इसके पूर्व में भी एक पत्र सदर तहसील मे भेजा गया है जिसमें 14 अपात्रों का नाम है इस प्रकार सदर तहसील के मात्र एक सर्किल में 41 अपात्रों को योजना का लाभ पहुँचाने की बात स्वयं समाजकल्याण बिभाग के अधिकारी कर रहे है मात्र एक सर्किल के अपात्रों को दिये गये धनराषि को जोड़ा जाये तो 5लाख 40 हजार रु0 हो जाता है। इसी तरह पुरे जनपद की छानबीन करायी जाये तो करोणो रू0 के लूटपाट का खुलासा संभव है। हालाकि बिभागीय सूत्र दबी जुबान से स्वीकार करते है कि इस योजना में लगभग एक करोण के आस पास की धनराशि की हेराफेरी का खेल हुआ है।
  समाज कल्याण बिभाग द्वारा पत्र जारी करने के पीछे जो मंशा  है यह कि अपने सहित बिभाग के लोगो व दलालों को सुरक्षित कर लिया जाये। सम्पूर्ण आरोप राजस्व और नगर परिषद के उपर थोप दिया जाये। समाज कल्याण अधिकारी के द्वारा जारी पत्र उपरोक्त यह भी संकेत दे रहा है कि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के ही आधार पर प्रति लाभार्थी 20 हजार रू0 की धनराशि  दे दी गयी है। इसमे जो खेल हुआ है उसके अनुसार लाभार्थी को एक हजार रू0 के आसपास की धनराशि  देकर शेष  बचे पैसे में अधिकारी कर्मचारी व दलाल का हिस्सा लगा है। योजना की धनराशि के लूटपाट में बड़ी चतुराई के साथ पूरा खेल किया गया है। जिन अपात्रों के नाम से धनोपर्जन किया गया है उनके नाम है गीतादेबी मु0 भण्डारी इन्द्रावती देबी रसूलाबाद राधादेबी भण्डारी किसुनादेबी धन्नेपुर मुन्नी खासनपुर कौषिल्या खालिसपुऱ, कलपा जोगियापुर बंषराजी जोगियापुर, सुमन सेखूपुर, प्रभावती हुसेनाबाद, धनपत्ती उर्दूबाजार, प्यारी सहाबुद्दीनपुर, लालतीदेबी बलुआघाट, समरत्थी देबी कन्हईपुर जहाना बेगम भन्डारी आदि तमाम नाम है।  जिन अपात्रो के नाम से सरकारी धन की लूट की गयी है उनके पतियों की मौत पांच से बीस वर्षो  पूर्व हुयी है और बिभाग उन सभी की मौत वित्तीय वर्ष  2014-15 मान कर प्रार्थना पत्र लिया और सरकारी खजाने से धन निकाल कर आपस में बाँट भी लिया कहीं शोर न मचे इस लिए लाभार्थी को कुछ धन देकर  प्राप्त  रसीद भी ले लिया ताकि बिभाग के लोग सेफ रहें फंसे तो लाभार्थी योंकि शोर मचाने की दशा  में एफ आई आर तो लाभार्थी के ही उपर ही होगी। बिभाग के  बाबू  भ्रष्टाचार में किस हद तक घिर गए है इसका खुलासा तो बीत दिनो जनपद के तहसील मडि़याहूं का एक मामला प्रकाश में आया था जिसमें एक मृतक की विधवा को इस योजना के तहत  8 बार पैसा दिया गया जिसकी पोल सम्बन्धित बैंक के प्रबन्धक ने किया था इसके बाद उस मामले की जांच शुरू कर दी गयी। जांच का दायित्व जिलाविकास अधिकारी को दिया गया जो अभी लम्बित है और दूसरा मामला चर्चा में आ गया है।बिभाग में तैनात सन्तोश नामक एक लिपिक जो जनपद आजमगढ़ में तैनाती के दैारान किये एक मामले मे निलम्बित है इस जनपद में सदर तहसील का काम देख रहा था।
      शासनादेश  है कि कोई भी प्रमाण पत्र जिस पटल से जारी हो सत्यापन उसी पटल से कराया जाये परन्तु यहां तो नगर परिषद द्वारा जारी प्रमाण पत्र का सत्यापन राजस्व बिभाग से कराया जा रहा है। लाभार्थी को योजना का लाभ दिये जाने के बाद जांच का क्या औचित्य है इस बारे में बिभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे है।    एक सवाल जरूर उठता है कि बगैर जांच कराये पैसा क्यों और कैसे दे दिया गया। समाज कल्याण बिभाग में तो हर कदम पर भ्रष्टाचार है जहां से भी पर्दा हटाया जाये लाखों करोणो का घोटाले का मामला खुल ही जायेगा यहां पर पनपे भ्रष्टाचार  के पीछे दलालो की एक लम्बी फौज है जो प्रतिदिन सुबह10 बजे आफिस हाजिर हो जाते है और सायं 5 बजे ही आफिस छोड़ते है। स्वहित के लिए सरकार की योजनाओं को धड़ल्ले से पलीता लगा रहे है। उच्चस्तरीय जांच कराये जाने की दशा  में इस बिभाग में हर स्तर पर घोटाला मिलेगा। अब देखना है कि इस बड़े लूटपाट कांण्ड की उच्चस्तरीय जांच  होती है या जिम्मेदार लोग इसे ठन्डे  बस्ते में डालकर स्वयं भी इसमें हिस्सेदार बन जायेगे।